दीपचन्द्र निर्मोही –(जन्म : 4 जुलाई, 1940) शिक्षा : गाँव की प्राथमिक पाठशाला में। दसवीं से लेकर मेरठ विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय तक शिक्षा का अनियमित सिलसिला। जीवनभर अध्यापन। प्राचार्य पद से सेवा निवृत्त। दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित– उपन्यास, कहानी, कविता जीवनवृत्त और ऐतिहासिक संदर्भों से जुड़ी, कुछ सम्पादित। बच्चों और युवाओं के लिये विशेष। ‘कालजयी संत’ के आठ संस्करणों में एक लाख दस हजार पुस्तकें प्रकाशित। नौवाँ संस्करण प्रेस में। ‘सूरज का सफर’ पुस्तक के जुलाई-2005 से दिसम्बर-2005 तक चार संस्करण प्रकाशित। अभी तक छ: संस्करण प्रकाशित और दो बार पुनर्मुद्रण। अधिकतर पुस्तकों के एकाधिक संस्करण प्रकाशित। हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा ‘बाल साहित्य सम्मान’। ‘इतिहास के झरोखे से’ एवं ‘सूरज का सफर’ हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत। राष्ट्रीय प्रगतिशील लेखक महासंघ, विश्वशान्ति संगठन, अखिल भारत रचनात्मक समाज और भारत सोवियत सांस्कृतिक समिति से जुड़े रहे। हिन्दी के लिये दो बार कारावास दण्ड। सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन। शिक्षा-प्रणाली से बाहर पड़े बच्चों के लिये सौ से अधिक नि:शुल्क चेतना स्कूलों के निर्माण में सक्रियता।

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