Author(s) — Shyam Bihari Shymal
लेखक – श्याम बिहारी श्यामल
Ve Din jo Kabhi Dhale Nahi वे दिन जो कभी ढले नहीं
₹275.00
17 in stock (can be backordered)
| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 136 Pages | HARD BOUND | 2021 |
17 in stock (can be backordered)
Description
श्याम बिहारी श्यामल
जन्म : 20 जनवरी, 1965
जन्म-स्थान : डालटनगंज, पलामू, झारखंड
पूर्वज-स्थान : रावल टोला, सिताबदियारा (सारण/ बलिया)
1998 में प्रथम उपन्यास ‘धपेल’ (राजकमल) के प्रकाशन और शीर्षस्थ आलोचक डॉ. नामवर सिंह की सराहना के साथ चर्चे में आये। दूसरा उपन्यास ‘अग्निपुरुष’ (राजकमल) भी चर्चित। जयशंकर प्रसाद के जीवन-युग आधारित वृहद उपन्यास ‘कन्था’ का ‘नवनीत’ (मुम्बई) में धारावाहिक प्रकाशन के दौरान पाठकों की ओर से विशेष स्वागत। यह पुस्तकाकार प्रकाश्य। कहानी-संग्रह ‘चना चबेना गंग जल’ और कविता-पुस्तिका ‘प्रेम के अकाल में’ भी प्रकाशित। आठ किताबें ऑनलाइन उपलब्ध। पहली क़िताब ‘लघुकथाएँ अँजुरी भर’ सत्यनारायण नाटे के साथ साझे में 1984 में प्रकाशित। उसी दौर से लेकर अब तक लेखन और पत्रकारिता। सम्प्रति : वाराणसी में दैनिक जागरण के मुख्य उप-सम्पादक।
सम्पर्क : सी-27/156, राम भवन, जगतगंज, वाराणसी-221002 (उ.प्र.) मेल : shyambihariahyamal 1965@gmail.com दूरभाष : 7311192852, 9450707614, 0542-2201327 ब्लॉग : शब्द श्यामल; वेबसाईट : लिखन्त पढ़न्त।
पुस्तक के बारे में
न्यून या शून्य सृजन-सक्रियताओं के कारण हिन्दी में नाटक, एकांकी, रेखाचित्र आदि विधायें लम्बे समय से चर्चा की परिधि से लगभग बाहर हैं। जहाँ लेखन-गतिविधियाँ नहीं या कम हैं, वहाँ का सन्नाटा तो समझ में आता है लेकिन कभी कुछ कम या ज़्यादा, प्रायः लगातार जीवंत बनी हुई ‘संस्मरण’ विधा की उदासी समझ से परे है। हिन्दी में संस्मरण भारतेन्दु युग से लेकर अब तक लगातार लिखे जा रहे हैं। विशिष्ट या सामान्य-से-सामान्य, शायद ही कोई साहित्यकार हो जिसने कभी संस्मरण न लिखा हो।
कुछ समय पहले कथाकार काशीनाथ सिंह और कान्ति कुमार जैन के संस्मरणों ने बेशक़ ख़ासा धूम मचायी लेकिन बात आयी-गयी हो गयी! विधा के स्तर पर ‘संस्मरण’ अब भी समुचित कान्ति से वंचित है।
जयशंकर प्रसाद के जीवन-युग व प्रेमचन्द कालीन काशी पर केन्द्रित वृहद औपन्यासिक आख्यान ‘कन्था’ और पलामू के जीवन-संघर्ष आधारित बहुचर्चित ‘धपेल’ (राजकमल प्रकाशन) के उपन्यासकार श्याम बिहारी श्यामल ने इस बीच लेखनी चलाकर ‘संस्मरण’ विधा में नई सम्भावनायें जगायी है। बिल्कुल भिन्न शिल्प के उनके इन संस्मरणों के वृत्त में केवल वृतान्त या अतीत के आलाप नहीं बल्कि आश्चर्यजनक ढंग से कथात्मकता और मूल्यांकन-तत्त्व समरस समाहित हैं। पात्र-विशेष के व्यक्तित्व के स्वयं देखे-सँजोये दुर्लभ अनुभूति-चित्र और इसके समानान्तर उनके कार्य-योगदान पर सन्दर्भित युग-मूल्य के परिप्रेक्ष्य में समुचित आलोचनात्मक दृष्टिपात! इतनी वृहद भूमिका में ‘संस्मरण’ इससे पहले शायद ही कहीं कभी दिखा हो।
स्मरणों के साथ कथा, उपन्यास, आलोचना और विवेचन-तत्त्वों का ऐसा समन्वय श्यामल के इन संस्मरणों को न केवल अलग या उल्लेखनीय पहचान दे रहा बल्कि इस प्राचीन विधा का कायाकल्प करते हुए इसके विकास और आगतों के लिए नये द्वार भी खोल रहा है। ख़ासियत यह कि इनमें नये-से-नये पाठक को भी उतना ही रस मिलेगा, जितना पुराने को अपेक्षित सन्दर्भ-सुख और तृप्ति-सन्तोष।
सब कुछ गिनती, गणना, आकलन, अनुमान, दावे और बुने सिद्धान्तों के दायरे में ही कहाँ चल पाता है!
लाख आपाधापी का युग हो और खंडित व्यक्तित्वों का चाहे जैसा भी दौर, इन्हीं आँखों ने कम-से-कम दो मूर्तियाँ ऐसी पास बैठ-बैठकर जी-भर निरखी हैं, ज़माना जिनके ठेंगे पर रहा! आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री सोते-जागते, उठते-बैठते, बोलते-बतियाते हर क्षण कवि! तो, नामवर जी 24 घंटे सिर्फ ‘आलोचक डॉ. नामवर सिंह’! परिवारवाले अपनी जानें, हमने तो जब भी देखा, यही देखा।
…इसी पुस्तक से…
1 review for Ve Din jo Kabhi Dhale Nahi वे दिन जो कभी ढले नहीं
You must be logged in to post a review.
Rogelio –
1 Zenciyle yatan sarışın kız, porn Shy teen 20
görüntülenme. Utangaç ve güzel olupda kocaman zenci yarragını almak nekadar zor oluyor bu
güzel namusalu aile kızı işte hem zencinin kocaman dudaklarından öpü yor sonrada kocan yarragını yalıyor işte bu şekilde nasıl bir
sikişme buysa BLACKEDRAW seks ve sikiş olagan üstü blacked, zenci, blackedraw.
My web page – animal sex porno hayvanlı Pornosu izle