Description
पुस्तक के बारे में
महजूब ने शराब का गिलास उसकी ओर बढ़ाया, उसे थामने से पहले उसने क्षण भर को संकोच किया और फिर बिना पिए अपने पास रख लिया। महजूब ने फिर से क़सम दी और मुस्तफ़ा पीने लगा। मैं जानता था कि महजूब बड़ा विवेकहीन है, और मेरे दिल में ख़याल आया कि उसे मना करूँ कि इस व्यक्ति को तंग न करे क्योंकि स्पष्ट देखा जा सकता था कि इस महफ़िल में उसकी रुचि नहीं, लेकिन फिर कुछ सोचकर रुक गया। मुस्तफ़ा ने पहला जाम खुले वैमनस्य के साथ कुछ यूँ जल्दी से पिया जैसे वह ना-गवार दवा हो। लेकिन जब तीसरे जाम की बारी आयी तो उसकी गति धीमी पड़ गयी और वह आनन्द के साथ चुस्कियाँ लेने लगा। उसके चेहरे की मांसपेशियाँ ढीली पड़ गयीं, उसके होंठों के गोशों का तनाव ग़ायब हो गया और उसकी आँखें पहले से भी अधिक स्वप्निल और उदासीन हो गयीं। उसके सिर, माथे और नाक से ज़ाहिर होने वाली दृढ़ता, जिसके विषय में आप जानते हैं, उस दुर्बलता में विलीन हो गयी जो शराब के साथ उसकी आँखों और मुँह पर प्रकट होने लगी थी। मुस्तफ़ा ने चौथा जाम पिया और फिर पाँचवाँ भी। अब उसको और शह देने की ज़रूरत नहीं थी, लेकिन महजूब था कि अब भी क़समें खाये जा रहा था कि अगर नहीं पियोगे तो तलाक़ दे दूँगा। मुस्तफ़ा कुर्सी में धँस गया, उसने पैर फैला लिये और जाम को दोनों हाथों में थाम लिया। उसकी आँखों से यह लगता था जैसे वे कहीं दूर क्षितिज में भटक रही हैं। तभी, अचानक मैंने सुना कि वह अँग्रेज़ी की कोई कविता पढ़ रहा है। उसकी आवाज़ स्पष्ट और भाषा त्रुटिहीन थी।
…इसी पुस्तक से…
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