Shamsher : Abhivyakti ki Kashmkash
शमशेर : अभिव्यक्ति की कशमकश
₹399.00
17 in stock (can be backordered)
Author(s) — Asmita Singh
| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 152 Pages | HARD BOUND | 2022 |
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Description
पुस्तक के बारे में
पूर्णता कलागत सत्य की अनिवार्य शर्त्त है। भारतीय कवि-दृष्टि की एक बहुत ही निजी विशेषता यह है कि वह वस्तु के मूलतक पहुंचती है और उसके रेशे-रेशे को पकड़कर किसी भाव या वस्तु को उसकी समग्रता में प्रस्तुत करती है। तभी वह वस्तु से लगे सत्य को भी उतनी ही बारिकी से उद्घाटित कर पाती है और उसके योग से कविता महज “सर्वोत्तम शब्दों का सर्वोत्तम क्रम” न होकर एक जीवन्त अस्तित्व धारण कर लेती है और पूरे आत्म-विश्वास के साथ हमारे बीच खड़ी रहती है। शमशेर एक आधुनिक कवि हैं, यह सत्य है।
सच यह भी है कि उन पर अतियथार्थवाद और अस्तित्ववाद से लेकर संरचनावाद जैसे कई-कई वादों के बहुत ही गहरे प्रभाव पड़े हैं। किन्तु, इन सबके बावजूद उनके अन्दर भारतीय मिट्टी भारतीय रस और गंध में रसी-पगी एक आत्मा है जिसके लिये धरती-तो-धरती, दूर खड़ा आसमान तक आत्मीय है, और साथ एक निरंतर संवाद में जुड़ा हुआ है।
कवि शमशेर पर लिखने के खतरे हैं। वह जितने सामाजिक विषय या मनुष्य-अनुभव के कवि हैं उतने ही अभिव्यक्ति के भी कवि हैं। शमशेर के सरोकारों में प्रमुख हैं तात्कालिकता, भावावेग, वैचारिक अनुशासन, राजनीति, बतकही और प्रेम।
अस्मिता द्वारा की गयी शमशेर की रचना-प्रक्रिया और रचना-संसार की व्याख्याएं कवि की अनुभूतियों, भाव-बोध, रचनात्मक अनुशासन और बिंबों को आधार की तरह इस्तेमाल करती हैं। उसी तरह रचना संसार के अंतर्गत वह शमशेर की संघर्षशील चेतना, युगबोध और संप्रेषण को भी बहस के दायरे में लाती है। निजता का रहस्य उनकी आलोचना रुचि का महत्वपूर्ण विषय है।
अस्मिता का यह नजरिया इस चीज पर बल देता है कि शमशेर के काव्य को समग्रता में समझा जाये और इन सरोकारों के मद्देनजर कविताओं की व्याख्या हो। कारण कि वो सरोकार जीवन भर कवि को अपने रेशो-रेशे में उलझाए रहे।
यह माना जा सकता है कि कवि शमशेर पर अस्मिता सिंह की यह आलोचना पुस्तक कुछ अलग ढंग के विचार-विन्दु प्रस्तुत करेगी, जो आलोचना के अकादमिक सरोकारों को सामान्य जिंदगी के सवालों और कष्टों के करीब लाते हैं और अध्ययन को जरूरी सांस्कृतिक फैलाव देते हैं।
शमशेर का रचना-संसार
रचना का एक बहुत बड़ा काम समय के चित्रण के साथ मानवीय स्थितियों और पात्रों के कलात्मक चरित्रांकन को एक कर समय-सत्य को उद्घाटित करना होता है। रचना-संसार के निर्माण के पीछे भी यही प्रक्रिया खड़ी रहती है, और इसी प्रक्रिया से फिर वे नये-नये मूल्य सृजित होते चलते हैं जिनके आधार पर उसकी अपनी एक अलग पहचान होती है। शमशेर जब ‘वाम वाम वाम दिशा’ या ‘अम्न का राग’ या ‘एक आदमी दो पहाड़ों …’ जैसी रचनाओं की सृष्टि करते हैं, उनके सामने अपना समय और उस समय के निर्माण का प्रश्न प्रमुख रूप से खड़ा रहता है। उसी प्रश्न से उलझते हुए वे रचना-सत्य को पकड़ते हैं और उसे भिन्न-भिन्न भाव-तरंगों पर उद्घाटित करते हुए अपना भावपूर्ण और कलात्मक संसार खड़ा कर लेते हैं जहाँ नया आदमी देश और काल की सीमाओं को लाँघकर अपनी विराट बिरादरी से जुड़ता है, और उसका जीवन-स्वप्न कवि के रचना-सत्य से एकात्म होकर हमारी गतिमान चेतना का संवाहक बन जाता है। शमशेर का रचना-संसार जहाँ उनकी कल्पना का मनोरम संसार है वहीं यथार्थ जीवन में– बेइन्साफी के खिलाफ मानवीय अधिकारों की लड़ाई में– उनका सुरक्षा-वर्ग भी है।
Additional information
Weight | 400 g |
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Dimensions | 9.5 × 6.5 × 0.5 in |
Binding Type |