Fuliya ek Ladki ka naam hai (Novel)
फुलिया एक लड़की का नाम है (Novel)

Fuliya ek Ladki ka naam hai (Novel)
फुलिया एक लड़की का नाम है (Novel)

200.00290.00

Author(s) — Asmita Singh
लेखक –  अस्मिता सिंह

| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 102 Pages |
| 5 x 8 Inches | 300 grams

Description

पुस्तक के बारे में

“…और चाची बीज ही नहीं हो तो फल कहाँ से फलेगा? अँग्रेजी डाक्टर को दिखलाया, नीम-हकीम को दिखलाया, ओझा-गुनी से झरवाया, मन्दिर-मजार, ईंट-पत्थर कहाँ-कहाँ नहीं माथा रगड़ा पर निराशा के सिवाय और क्या मिला? उम्र ढलती जा रही है पर इस पर तो कोई असर ही नहीं होता। चाची, हार-पाँच कर एक जगह चेट से पैसा खर्चा करके खुद अपने लिए एक लड़की ठीक करके आया हूँ, सुनते ही रोना-धोना शुरू कर दी।” हाय री मेरी किस्मत (और छाती पीट-पीटकर रोने लगे। रोने के साथ-साथ खुद की किस्मत को भी कोसते जा रहे थे), “जा रे! सुन्दर, तेरे किस्मत में लिखा है बेऔलाद मरना।” और अपना माथा खुद ही पीटने लगे फिर अचानक उठकर दौड़कर अपनी पत्‍नी को चौखट से अन्दर खींचते हुए दरवाजा बन्द कर दिया। उसके बाद काफी समय तक अन्दर से चीखने-चिल्लाने की आवाज आती रहीं। बाहर से सुन्दर सिंह की माँ, चाची तथा भौजाई सभी दरवाजा खुलवाने के लिए दरवाजा पीट-पीट कर थक चुके थे। मैंने देखा कुछ समय पश्‍चात अपनी मर्दानगी दिखा सुन्दर सिंह दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया और ड्‍योढ़ी लाँघ बाहर दालान में चला गया। उधर उनकी पत्‍नी अपने फटे साड़ी-ब्लाउज की तरह कटे-फटे शरीर के दर्द को कराहते हुए आँसुओं से धोने की कोशिश कर रही थी। झगड़ा शान्त होता देख सभी सुन्दर को कोसते हुए अपनी-अपनी राह चल दीं। सुन्दर की माँ बड़बड़ाते हुए चली जा रही थी, “हे भगवान! बेचारी का कैसा भाग है, एक तो औलाद नहीं ऊपर से कसाई मर्द मिला। जालिम जब मारता है तब चमड़ी उधेड़े बिना नहीं रहता।…”
…इसी पुस्तक से…

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