Rajbir kee Kundaliyan (in Haryanvi)
राजबीर की कुंडलियाँ (हरियाणवी कुंडली-संग्रह)

Rajbir kee Kundaliyan (in Haryanvi)
राजबीर की कुंडलियाँ (हरियाणवी कुंडली-संग्रह)

225.00

Author(s) — Raj Bir Verma
लेखक — राजबीर वर्मा

| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 115 Pages | 2022 | 6 x 9 inches |

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Description

पुस्तक के बारे में

मेहनत कर कै देख ले, तेरे समरैं सारे काम।
ठाली बैठ कै काम बिगड़ैं, कोडी उठ‍्ठै दाम।।
कौडी उठ‍्ठैं दाम, बिमारी देह मैं लागै।
सफलता तेरे पिच्छै पिच्छै, तू आगै की आगै।
मेहनत खोलै सारे ताले, मिलै तनै जन्‍नत।
सारे को सम्मान मिलै, कर कै देख मेहनत।

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विदाई वेद और बानगी, ब्याज नै पहले लेय।
मूँह बावै और दाँत दिखावै, लेण देण नै केय।।
लेण देण नै केय, बाद मैं कुछ नी आवै।
कोई बात सुणैं कौनी, एकला खड़या लखावै।।
गाँठ पल्लै बाँध ले, बात समझ मैं आई।
इसतै पहले बिगड़ै बात, ले ले वेद विदाई।।

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जब तक तेरे हाथ सलामत, करले सारे काम।
पाँव तेरे मजबूत जब तक, घूमले चारों धाम।।
घूमले चारों धाम, फेर तरसणा बाकी।
खाली मरोड़ रह जेगी, ना घर में चुल्हा चाक्‍की।।
जो मन में आवै सो करले, अंग सलामत तब तक।
रटले राम का नाम, साँस चलैं तेरे जब तक।।

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मेल-जोल मैं ताकत है, मत करिये अलगाव।
बोल मैं बोल मिलावेगा तो, बढजैं तेरे भाव।।
बढ़जैं तेरे भाव, मेल मिला कै देख।
सुन्दर बण जै जीवन, जणूँ रेख मैं मेख।।
उन तिलां का के जिक्रा, जिनमैं कौनी तेल।
उस माणस का के कहणा, जो कदे ना राखै मेल।।

… इसी पुस्तक से…

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