Author(s) – Aloka Kujur
लेखिका — अलोका कुजूर
| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 152 Pages | 5.5 x 8.5 Inches |
| availabe in PAPER BACK (2020) & HARD BOUND (2021) |
₹160.00 – ₹260.00
आलोका कुजूर–झारखंड निवासी, जन्म 6 जुलाई, एम.ए. राजनीति विज्ञान, पत्रकारिता रांची विश्वविद्यालय रांची, स्वतन्त्र पत्रकार, लेखिका शोधार्थी महिला चिन्तक एवं कवयित्री। आदिवासी और महिला मुद्दों पर कई शोधपरख लेख। पत्थर खदान में औरत, महिला बीड़ी कर्मी, पंचायत राज सरीखे विविध विषयों पर शोध कार्य। प्रथम सामूहिक किताब झारखंड इंसाइक्लोपीडिया में डायन हत्या पर लेख। झारखंड की श्रमिक महिला पर शोधारित किताब प्रकाशित। कलम को तीर होना दो सामूहिक प्रथम कविता की किताब है। लम्बे अरसे से महिला आन्दोलनों, लेखन और जन-आन्दोलनों के साथ गहरा जुड़ाव। देश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन। नेशनल फाउडेशन फॉर मीडिया फेलोशिप झारखंड सरकार मीडिया फेलोशिप साइंस एण्ड इंवायरनमेंट सीएससी एवार्ड। बुरूगढ़ा वृत्तचित्र (पहाड़ी नदी) 2008 में महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटील के द्वारा पुरस्कृत। बुरूगढ़ा वृत्तचित्र (पहाड़ी नदी) फिल्म में पटकथा लेखन। वर्तमान में लेखन में सक्रिय। संपर्क–हजारीबाघ रोड थड़पखना, रांची-834001 फोन-9430194872
लेखन एक कला है। कविता लिखना भी एक कला है। लम्बे समय से लेखन के साथ सफर कर रही हूँ। मेरी लेखनी आदिवासी जीवन के संस्कृति के साथ जल, जंगल, जमीन के ज्वलन्त सवालों के साथ संघर्ष का जो सफ़र रहा है उसे हिन्दी साहित्य और हिन्दी शब्दों के समांतर में लाने की एक छोटी कोशिश है। इस कविता संग्रह को मैंने नागपुरी, कुडूख, मुंडारी भाषा के अनेकों शब्दों से सजाया है, जो हिन्दी की दुनिया के लिये नया होगा। खासकर झारखंड के स्थानीय भाषा, आदिवासी स्वाद और संघर्ष के शब्दों से लिखने का हिम्मत एवं आनन्द उठाया है। ‘नये हस्ताक्षर’ कविता संग्रह में आदिवासी राजनीति संघर्ष व समस्याओं को पैनी नज़र से उठाया है। मैंने अब तक अपने जीवन के तमाम तरह के उतार चढ़ाव को देखा समझा और लिखा। समाज के स्थिति को जैसा देखा उसे अपनी भावनाओं में उकेरने की कोशिश की है। इन अनुभवों को कविता के शब्दों में पीरो रही हूँ। उम्मीद है पसन्द आएगी। यह मेरा पहला कविता संग्रह है। देश भर के पत्रिकाओं में छपने के बाद कविता के दुनिया में अकेले का पहला कदम होगा। (सभी को द्व उल्ला, (गुड डे))।
– आलोका कुजूर
किसानों की मौत से कंपा मेरा मन
मारंग बुरु
बिरसा आबा
माँ
सत्ता परिवर्तन
साजिश
बारिश
दुर्गावती
शब्दकार
हीरामणि
शिशिर दा
रिची बुरू
लुगू बुरू
हूमटा पहाड़
कुंथों
रंगुआ मुर्गा
मूढ़ी का पाइला
एक ही खौफ
पूरा-पूरा चाँद
दिल्ली में हैं झाड़खंड
सन्नाटा
कमसीन बनी श्रमशील
नये हस्ताक्षर
खजूर की चटाई
प्रकृति
अब बनेंगे बाँध आँसू के
पहाड़ पर पहाड़
सेज पर सेज
गदर जारी हैं
विपत्ति बंगाल
चेयरमैन माओ
तीसरी दुनिया की तीसरी दुकान
जज्बात की कहानी
मुलाकात के बाद
बारिश के बूँद
दामिन-इ-कोह
ताज महल की दुनिया
मैंने देखी एक आजादी
मैंने निश्चय किया
जमीन का टुकड़ा
अवसान
आँगन
धूप की रौशनी
हे मार्क्स के अनुयायी!
बातें चिड़ियों की
संधि
जतरा
वो गीत हैं तेरे
नगाड़ा
मृत्यू के बाद महेन्द्र सिंह
सच रोज मरता है।
चुनौतियाँ
संघर्ष
शक्ति की रूप औरत
आशियाना
सब बीमार
क्लासिक बॉय
रात सन्नाटा है
माँ माटी चह
एचबी रोड से कल्बरोड तक
चाँद से मैंने पूछ डाला
रंग
सरहुल
मंजिल नहीं
हवेली
ये लम्हा बीता मेरा
प्रिया
किरायेदार हम
जनसंख्या बढ़ा कि
रिश्ते ने दर्द
चाँदनी रात के बाद
जेल का इतिहास
कैद हुल आजाद हुआ
विराम का अर्थ
क्या है? नया
कोहरे की चादर
देहरी
झारखंडी रंग
पेशावर के शहीद बच्चों को अन्तिम जोहार
मौत
यतीम खाना
लहूलहान भविष्य
एक इंतकाम
सामूहिक मौत
कामरेड का भाषण
जमीन का टुकड़ा
जावा और करम डाल
करम करम कही के
नगाड़े की गूँज
सड़क शांत
रामखुदा
किरण
उमंग
गाँव में नदियाँ
तपोवन
बेच आना किरण
बिस्लरी से डिस्टलरी तक
खामोशी
मनचाहा
जिंदा लाशों का शहर में
माँ
रिझ
शाही शहर में
बंसत
सरस्वती माँ
लाल सलाम काॅमरेड
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