Kabir : Kavita Evam Samaj
कबीर कविता एवं समाज

260.00399.00

Editor (s) — Subhash Sharma
संपादक — सुभाष शर्मा

Contributors / अन्य लेखक

–मैनेजर पाण्डेय
–सुभाष शर्मा
–एवेलिन अंडरहिल
–अरुण कमल
–जीवन सिंह
–विश्वरंजन
–इरफ़ान हबीब
–खगेन्द्र ठाकुर
–गोपेश्वर सिंह
–पी.एस. नटराजन
–सुरेन्द्र स्निग्ध
–सेवा सिंह
–हेमन्त कुमार हिमांशु
–उपेन्द्रनाथ पांडेय
–दयाशंकर
–शम्भुनाथ
–वीर भारत तलवार
–नामवर सिंह

| ANUUGYA BOOKS | HINDI| 212 Pages | 6 x 9 Inches |

| available in PAPER BACK & HARD BOUND |

Description

लेखक का परिचय

डॉ. सुभाष शर्मा

डॉ. सुभाष शर्माजन्म : 20 अगस्त, 1959, सुल्तानपुर, (उ.प्र.) द्य शिक्षा : एम.ए., एम.फिल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से। एम.ए., मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, इंग्लैंड से। पटना विश्वविद्यालय से पीएच.डी. द्य प्रकाशित कृतियाँ : जिन्दगी का गद्य; अंगारे पर बैठा आदमी; हम भारत के लोग; दुश्चक्र; बेजुबान; भारत में बाल मजदूर; भारत में शिक्षा व्यवस्था; भारतीय महिलाओं की दशा; हिन्दी समाज : परम्परा एवं आधुनिकता; शिक्षा और समाज; विकास का समाजशास्त्र; भूख तथा अन्य कहानियाँ; खर्रा एवं अन्य कहानियाँ; कुँअर सिंह और 1857 की क्रान्ति; भारत में मानवाधिकार; संस्कृति और समाज; शिक्षा का समाजशास्त्र; डायलेक्टिक्स ऑव अग्रेरियन डेवलपमेन्ट; व्हाइ पीपल प्रोटेस्ट; सोशियोलॉजी ऑव लिटरेचर; डेवलपमेन्ट एंड इट्स डिस्कान्टेन्ट्स; ह्यूमन राइट्स; द स्पीचलेस एंड अदर स्टोरीज; कायान्तरण तथा अन्य कहानियाँ (फ्रांज काफ़्का की कहानियों का अनुवाद); अँधेरा भी, उजाला भी (विश्व की चुनिन्दा कहानियों का अनुवाद); मवेशीबाड़ा (जॉर्ज ऑर्वेल के उपन्यास ‘द एनिमल फार्म’ का अनुवाद); संस्कृति, राजसत्ता और समाज; क्यों करते हैं लोग प्रतिरोध; कबीर : कविता एवं समाज द्य प्रमुख पत्रिकाओं में कई कहानियाँ, कविताएँ एवं लेख प्रकाशित। इनकी विभिन्न कहानियों का अंग्रेजी, ओडिया, बांग्ला, मराठी आदि में अनुवाद द्य पुरस्कार : राजभाषा विभाग, बिहार सरकार से अनुवाद के लिए पुरस्कार द्य बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना से कहानी के लिए साहित्य साधना पुरस्कार द्य ‘भारत में मानवाधिकार’ पुस्तक पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (नयी दिल्ली) से प्रथम पुरस्कार (2011) द्य अनुभव : भारत सरकार एवं बिहार सरकार की सेवा में उच्च पदों पर कार्यानुभव द्य ई-मेल : sush84br@yahoo.com

रचनाकारों का परिचय

डॉ. नामवर सिंह–28 जुलाई 1927, जीयनपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश। विधाएँ : आलोचना, साक्षात्कार, व्याख्यान, शोध, पत्र, संपादन, अनुवाद। मुख्य कृतियाँ–आलोचना : आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ, छायावाद, इतिहास और आलोचना, कहानी : नयी कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज़, वाद विवाद संवाद। व्याख्यान तथा अन्य : आलोचक के मुख से, बक़लम ख़ुद, कविता की ज़मीन और ज़मीन की कविता, हिंदी का गद्यपर्व, प्रेमचंद और भारतीय समाज, ज़माने से दो दो हाथ, साहित्य की पहचान, आलोचना और विचारधारा, सम्मुख, साथ-साथ, आलोचना और संवाद, पूर्वरंग, द्वाभा, छायावाद : प्रसाद, निराला, महादेवी और पंत, रामविलास शर्मा, नामवर के नोट्स (नामवर जी के जे.एन.यू के क्लास नोट्स, संपादन-शैलेश कुमार, मधुप कुमार और नीलम सिंह)। जे. एन. यू. में हिन्दी के प्रोफेसर और भारतीय भाषा केन्द्र के संस्थापक। 19 फरवरी 2019 को निधन।

डॉ. मैनेजर पाण्डेय–जन्म 23 सितम्बर, 1941 को बिहार प्रान्त के वर्तमान गोपालगंज जनपद के गाँव ‘लोहटी’ में हुआ। उनकी आरम्भिक शिक्षा गाँव में तथा उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई, जहाँ से उन्होंने एम.ए. और पीएच. डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। आजीविका के लिए अध्यापन का मार्ग चुनने वाले मैनेजर पाण्डेय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा संस्थान के भारतीय भाषा केन्द्र में हिन्दी के प्रोफेसर रहे हैं। वे जेएनयू में भारतीय भाषा केंद्र के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके पूर्व पाण्डेय जी बरेली कॉलेज, बरेली और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी प्राध्यापक रहे। शब्द और कर्म-1981ई. (परिवर्धित संस्करण, 1997 ई.); साहित्य और इतिहास-दृष्टि-1981; भक्ति आन्दोलन और सूरदास का काव्य–1982 (परिवर्धित संस्करण, 1993 ई.); सूरदास (विनिबंध)-2008; साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका-1989 (नवीन संस्करण साहित्य और समाजशास्त्रीय दृष्टि नाम से प्रकाशित); आलोचना की सामाजिकता-2005; उपन्यास और लोकतंत्र-2013; हिंदी कविता का अतीत और वर्तमान-2013; आलोचना में सहमति-असहमति-2013;
भारतीय समाज में प्रतिरोध की परम्परा-2013।

डॉ. शंभुनाथ–मई 1948, देवघर (झारखंड)। विधाएँ : आलोचना। मुख्य कृतियाँ–आलोचना : साहित्य और जनसंघर्ष, मिथक और आधुनिक कविता, प्रेमचंद का पुनर्मूल्यांकन, बौद्धिक उपनिवेशवाद की चुनौती और रामचंद्र शुक्ल, दूसरे नवजागरण की ओर, धर्म का दुखांत, संस्कृति की उत्तरकथा, दुस्समय में साहित्य, हिंदी नवजागरण और संस्कृति, सभ्यता से संवाद, रामविलास शर्मा, भारतीय अस्मिता और हिंदी, कवि की नई दुनिया
संपादन : भारतेंदु और भारतीय नवजागरण, राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन और प्रसाद, जातिवाद और रंगभेद, गणेशशंकर विद्यार्थी और हिंदी पत्रकारिता, राहुल सांकृत्यायन, हिंदी नवजागरण : बंगीय विरासत (दो खंड), रामचंद्र शुक्ल के लेखों के बांग्ला अनुवाद का संकलन-संचयन, आधुनिकता की पुनर्व्याख्या, सामाजिक क्रांति के दस्तावेज़ (दो खंड), 1857, नवजागरण और भारतीय भाषाएँ, संस्कृति के प्रश्न : एशियाई परिदृश्य। कोलकाता विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त। सम्प्रति वागर्थ पत्रिका के सम्पादक।

डॉ. सुभाष शर्मा– 20 अगस्त, 1959 को सुल्तानपुर (उ.प्र.) में जन्म। एम.ए., एम. फिल्. (समाजशास्त्र) जे.एन.यू. से। एम.ए. (विकास प्रशासन एवं प्रबन्धन) मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से। पी-एच.डी. पटना विश्वविद्यालय से। कवि-कथाकार एवं अनुवादक के रूप में चर्चित। भारत में बाल मज़दूर, भारत में शिक्षा व्यवस्था, शिक्षा और समाज, भाषा का समाजशास्त्र, क्यों करते हैं लोग प्रतिरोध, संस्कृति और समाज, शिक्षा का समाजशास्त्र, विकास का समाजशास्त्र, पर्यावरण और विकास, भारतीय महिलाओं की दशा, भारत में मानवाधिकार, ‘ज़िन्दगी का गद्य’ एवं ‘अंगारे पर बैठा आदमी’, ‘हम भारत के लोग’ (कविता-संग्रह), ‘दुश्चक्र’, ‘बेज़बान’, ‘भूख तथा अन्य कहानियाँ’, ‘खर्रा और अन्य कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह), ‘कायान्तरण तथा अन्य कहानियाँ’, ‘कहीं अँधेरा, कहीं उजाला’, एवं ‘मवेशी बाड़ा’ (अनूदित ग्रन्थ), अँग्रेजी में भी कई पुस्तकें प्रकाशित। शिक्षा, पर्यावरण, महिला, बाल मज़दूर, मानवधिकार, संस्कृति आदि पर कई पुस्तकें प्रकाशित। ‘भारत में मानवाधिकार’ पुस्तक पर 2011 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से प्रथम पुरस्कार प्राप्त। भा. प्र. से. के उच्चतर पद से सेवानिवृत्त। 14, अल्पाइन सहकारी आवास समिति, सेक्टर पी 2, ओमेगा I, ग्रेटर नाेयडा-(201315)
एवेलिन अंडरहिल– ब्रिटिश लेखिका। जन्म 1875 में एवं मृत्यु 1941 में। ‘मिस्टिसिज्म’ नामक पुस्तक विशेष रूप से चर्चित।

प्रो. अरुण कमल– मूलत: कवि। साहित्य अकादमी तथा अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित। ‘अपनी केवल धार’, ‘सबूत’, ‘नये इलाके में’, ‘पुतली में संसार’ (कविता-संग्रह) प्रकाशित एवं चर्चित। पटना विश्वविद्यालय में अँग्रेजी विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त। सम्पर्क : फ्लैट नं. 4, मैत्रेयी शान्ति भवन, बी.एम. दास रोड, पटना।

डॉ. जीवन सिंह– जन्म 19 जुलाई, 1947, भरतपुर (राजस्थान) जिला के जुरहरा गाँव में। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पी-एच.डी.। राजस्थान के विभिन्न कॉलेजों में अध्यापन के बाद सेवानिवृत्त। प्रकाशन : ‘कविता और कवि-कर्म’ (आलोचना पुस्तक) साहित्य के विभिन्न विषयों पर निरन्तर लेखन। समकालीन हिन्दी आलोचना के महत्त्वपूर्ण नाम। सम्पर्क : 1/14, अरावली विहार, अलवर (राजस्थान)

विश्वरंजन– 1 अप्रैल, 1952 को जन्म। मूलत: कवि एवं चित्रकार, ‘स्वप्न का होना बेहद ज़रूरी है’ (कविता-संग्रह)। पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ के रूप में कार्य करने के बाद सेवानिवृत्त।

प्रो. इरफ़ान हबीब– मध्यकालीन भारतीय इतिहास के विद्वान। कई पुस्तकें प्रकाशित। ‘एग्रेरियन सिस्टम इन मुगल इंडिया’ विशेष रूप से चर्चित। सम्पर्क : प्रोफेसर एमरिटस इतिहास विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़।

डॉ. खगेन्द्र ठाकुर– जन्म 9 सितम्बर, 1937, ‘धार एक व्याकुल’ (कविता-संग्रह), ‘कविता का वर्तमान’, एवं ‘आलोचना के बहाने’ (आलोचना)। दिनकर और नागार्जुन पर पुस्तकें। ‘सेन्ट्रल जेल’ (उपन्यास)। राजेन्द्र शिखर सम्मान से सम्मानित। 12 जनवरी 2020 को उनका निधन। जनशक्ति कॉलोनी, पथ सं. 24, राजीव नगर दीघा, पटना।

डॉ. गोपेश्वर सिंह– जन्म नवम्बर 1955, गोपालगंज (बिहार) जिले के बड़कागाँव नामक ग्राम में। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पी-एच.डी. (‘भक्ति आन्दोलन और मीरा का काव्य’ नामक विषय पर) वृत्ति : दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त। प्रकाशन : मध्यकालीन साहित्य और भक्ति काव्य से सम्बन्धित लगभग 50 लेखों का हिन्दी की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन। आलोचना की कई पुस्तकें प्रकाशित ‘आलोचना के परिसर’ चर्चित।

पी.एस. नटराजन– आलोचक एवं विचारक। कई साहित्यिक लेख पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त।
डॉ. सुरेन्द्र स्निग्ध– बिहार में पूर्णिया जिले के एक गाँव में 1952 में जन्म। एम.ए., पी-एच.डी. (हिन्दी)। ‘पके धान की गन्ध’ तथा ‘कई-कई यात्राएँ’ (कविता-संग्रह) ‘छाड़न’ (उपन्यास) प्रकाशित। कई पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद 18 दिसम्बर, 2017 में निधन।

डॉ. सेवा सिंह– गुरुनानक देव युनिवर्सिटी, अमृतसर में ‘सन्त कबीर चेयर’ के अध्यक्ष। प्रो. सेवा सिंह भक्ति साहित्य, विशेषकर निर्गुण भक्ति काव्य के अधिकारी विद्वान हैं। ‘कबीर की स्त्री विषयक दृष्टि’ इनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। भक्ति आन्दोलन पर दर्ज़नों गम्भीर शोधपरक लेख प्रकाशित। सन्त कबीर चेयर, गुरुनानक देव युनिवर्सिटी, अमृतसर से सेवानिवृत्त।

डॉ. हेमन्त कुमार हिमांशु– जन्म 15 सितम्बर, 1972, कटिहार (बिहार) जिले के चन्दवा नामक ग्राम में। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी)। ‘आचार्य किशोरीदास वाजपेयी और हिन्दी भाषा-शास्त्र की परम्परा’ विषय पर पटना विश्वविद्यालय से पी-एच. डी.। प्रकाशन : ‘समय के आलेख’ नामक पुस्तक का सम्पादन एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख-प्रकाशित। सम्प्रति : दिल्ली विश्वविद्यालय के एक महाविद्यालय में अध्यापन।
डॉ. उपेन्द्र नाथ पांडेय– जन्म : सारण (बिहार) में। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी)। फुटकर लेखन। बिहार प्रशासनिक सेवा में। बिहार सरकार में (पटना में) मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग में विशेष सचिव पद पर कार्यरत।

डॉ. वीर भारत तलवार–20 सितम्बर, 1947, जमशेदपुर, झारखंड। शिक्षा : बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए. और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएच.डी.। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दो बार फेलो। जेएनयू में 24 वर्ष अध्यापन के बाद सेवानिवृत्त। तीन पत्रिकाओं – पटना से ‘फिलहाल’ (1972-74), धनबाद से ‘शालपत्र’ (1977-78) और रांची से ‘झारखंड वार्ता’ (1977-78) का प्रकाशन और संपादन। झारखंड आन्दोलन में और रांची विश्वविद्यालय में आदिवासी भाषाओं का विभाग खुलवाने में विशेष भूमिका। प्रकाशन : किसान राष्ट्रीय आन्दोलन और प्रेमचंद : 1918-22 (1990); राष्ट्रीय नवजागरण और साहित्य (1993); 19वीं सदी में हिन्दू नवजागरण की विचारधारा: सत्यार्थ प्रकाश (2001); रस्साकशी (2002); राजा शिवप्रसाद सितारेहिंद : प्रतिनिधि संकलन (संपादन, 2004); राजा शिवप्रसाद सितारेहिंद (मोनोग्राफ, 2005); नक्सलबाड़ी के दौर में (संपादन, 2007); झारखंड के आदिवासियों के बीच (2008), झारखंड आन्दोलन के दस्तावेज़ (संपादन, 2016)। सम्मान : भगवान बिरसा पुरस्कार (1988-89) तथा झारखंड रत्न की उपाधि से विभूषित (2003)। संपर्क : मो. 9560857548 e-mail : virbharattalwar@gmail.com

डॉ. दयाशंकर (मूल नाम : दयाशंकर त्रिपाठी)–10 मार्च 1961, बरवसा राजा, मिर्जापुर (उ.प्र.)। योग्यता : एम.ए., (इलाहाबाद वि.वि.), पीएच.डी. (सरदार पटेल वि.वि.)। प्रकाशन : कबीर और तुलसी : युग एवं परम्परा, कबीर और तुलसी के काव्य की अन्तर्वस्तु का तुलनात्मक अनुशीलन, लोक-जीवन प्रकृति, कलाएं एवं सूर का काव्य, आधुनिक हिंदी साहित्य : कुछ संदर्भ, हिंदी साहित्य: सामान्य परिचय, आधुनिक हिंदी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर, नये यथार्थबोध के कवि नागार्जुन, हिंदी काव्य में खड़ीबोली का विकास, भक्तिकाव्य : पुनर्पाठ, दलित वैचारिकी और साहित्य। पत्रिकाओं में दस दर्जन से अधिक शोध पत्र, आलेख, पुस्तक समीक्षाएँ प्रकाशित। पुरस्कार : आलोचनात्मक निबन्ध पुस्तक-‘लोकजीवन प्रकृति, कलाएँ और सूर का काव्य’ वर्ष-2001-02 के लिए गुजरात हिन्दी साहित्य अकादमी, गाँधीनगर द्वारा पुरस्कृत। वर्तमान स्थायी आवास : ‘आकाश’ बी-17, नीलकंठ बंग्लोज, पंचायत दवाखाना रोड, वल्लभ विद्यानगर, जिला-आणंद (गुजरात)-388120 सम्प्रति: प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, वल्लभ विद्यानगर, आणंद (गुजरात)-388120 मो. 09427549364. e-mail: tripathidayashankar061@gmail.com

अनुक्रम

दो शब्द
1. कबीर और आज का समय –मैनेजर पाण्डेय
2. हिन्दी के द्रष्टा कवि कबीर : एक मूल्यांकन –सुभाष शर्मा
3. कबीर की कविताएँ : एक परिचय –एवेलिन अंडरहिल
4. कबीर के मस्तक पर मोरपंख –अरुण कमल
5. कबीर की कविताओं में लोक-संवेदना –जीवन सिंह
6. कबीर : भारत का पहला क्रान्तिकारी और सेक्युलर कवि –विश्वरंजन
7. एकेश्वरवादी आन्दोलन : विशेषत: कबीर और नानक –इरफ़ान हबीब
8. कबीर का संघर्ष –खगेन्द्र ठाकुर
9. कबीर और उनका रहस्यवाद –गोपेश्वर सिंह
10. कबीर में सामाजिक विद्रोह और उसका अर्थ –पी.एस. नटराजन
11. दुखिया दास कबीर है –सुरेन्द्र स्निग्ध
12. कबीर की भक्ति : एक नयी सांस्कृतिक संरचना का आयोजन –सेवा सिंह
13. कबीर मठ : कबीर जहाँ सबसे ज्यादा लड़ते हैं –हेमन्त कुमार हिमांशु
14. कबीर की प्रासंगिकता : एक पुनर्विचार –उपेन्द्रनाथ पांडेय
15. कबीर-काव्य की आलोचना का धर्मवीरी दर्पण –दयाशंकर
16. भक्ति साहित्य के परिप्रेक्ष्य में –शम्भुनाथ
17. कबीर पर कब्ज़े की लड़ाई –वीर भारत तलवार
18. कबीर का दु:ख –नामवर सिंह

कबीर की चुनी हुई रचनाएँ

परिशिष्ट : रचनाकारों का परिचय

यूँ तो कबीर के बारे में हिन्दी के कई विद्वान काफ़ी कुछ लिख चुके हैं, फिर भी कबीर की रचनाओं में ऐसी कई चीज़़ें हैं जिनकी गहन विवेचना एवं पुनर्व्याख्या की ज़रूरत है। हमारा मानना है कि कबीर के जन्म के बारे में ज़्यादा समय, श्रम एवं साधन बर्बाद करने की बज़ाय उनके कृतित्व की समीक्षा करना ज़्यादा समीचीन है। इसके लिए एक समग्र आलोचनात्मक दृष्टि अपनाने की ज़रूरत है जिससे वस्तुगत तथ्यों एवं तर्कों के आधार पर सर्वांगीण विश्लेषण हो सके। अफ़सोस है कि एक गुट कबीर को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हिन्दू धर्म की ओर घसीटता है, तो दूसरा इस्लाम की ओर, यानी कबीर पर कब्जे की लड़ाई चल रही है। जबकि सचाई है कि कबीर ने दोनों धर्मों की कट्टरता एवं कटुता की प्रखर आलोचना की है। वे अन्तत: मनुष्यता एवं मानव धर्म की वकालत करते हैं जहाँ बिना किसी रोक-टोक, भेदभाव एवं बाह्याचार के सच्ची साधना से ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है तथा एक नये समतामूलक समाज का निर्माण हो सकता है। इसी दृष्टिकोण से कबीर के कविकर्म एवं समाज-निर्माण के साथ उनकी कुछ रचनाएँ भी दी जा रही हैं जिससे प्रबुद्ध पाठक स्वयं लाभ उठावें।
पूर्ण विश्वास के साथ यह कहना अप्रासंगिक नहीं कि इस संकलन में दो लेख– एवेलिन अंडरहिल द्वारा कबीर के रहस्यवाद का समीक्षात्मक परिचय, तथा मध्यकालीन भारत के विद्वान इतिहासकार प्रो. इरफ़ान हबीब की कबीर व नानक के विशेष सन्दर्भ में एकेश्वरवाद की विवेचना-ऐतिहासिक महत्त्व के हैं। अन्तत: यहाँ ‘विचारों और दृष्टियों का जनतन्त्र’ अपनाया गया है जिससे सभी पक्षों और आयामों पर समुचित प्रकाश पड़ सके। जिससे प्रबुद्ध पाठक, शिक्षक एवं विद्यार्थी उससे लाभान्वित हो सके।

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