Kath ka Ghoda (Collection of Chinese Folktales)
काठ का घोड़ा (चीन की लोककथाएँ)
₹225.00 ₹215.00
10 in stock (can be backordered)
Author(s) — Kishore Diwase
Description
पुस्तक के बारे में
एक बरस इतना भयंकर अकाल पड़ा कि उस इलाके की सारी फसल बर्बाद हो गई। मजदूर जिन्हें पहले कभी तकलीफ़ नहीं हुई वे अनाज के लिए तरसने लगे। हालत यह थी कि पहले उन्होंने पेड़ों की छाल और जड़ें खाकर अपना पेट भरा परन्तु बाद में वह भी नहीं बचा। भूख से परेशान होकर वे मक्खीचूस से अनाज के लिए कर्ज़ लेने को मजबूर हो गए जिसके छोटे-बड़े सभी गोदामों में अनाज लबालब भरा था। अनाज रखे-रखे अंकुरित होने लगा और आटे में भी कीड़े पड़ने लगे थे फिर भी वह मक्खीचूस ज़मींदार टस-से-मस नहीं हो रहा था। अन्तत: सारे मजदूर गुस्से के मारे वापस चले गए और उस ज़मींदार को सबक सिखाने की ठान ली।
सभी मजदूरों ने एकजुट होकर योजना बनाई। उन्होंने चाँदी के छोटे-छोटे धातु पिंड इकट्ठा किए और एक मरियल छोटे-से घोड़े का भी बन्दोबस्त किया। उन पर कपास लपेटकर कोये की शक्ल में घोड़े की पीठ पर लादकर तहबन्द कर लिया। अपने बीच से उन्होंने एक ऐसे मजदूर को चुना जिसे हर कोई बड़बोला के नाम से पुकारता था। उसे कब्र में दफन मुर्दों को भी बात करने के लिए मजबूर कर देने की कला आती थी। बड़बोले को मक्खीचूस के पास भेजा गया। जैसे ही बड़बोला ज़मींदार के घर में दाखिल हुआ ज़मींदार गुस्से में चीख पड़ा–
“अरे ओ मूर्ख! तुमने मेरे घर का सारा अहाता ही गन्दा कर दिया। दूर हो जाओ मेरी नज़रों से।”
“शान्त हो जाइए मालिक…” बड़बोला कुटिल मुस्कान से बोलने लगा, “यदि आपने घोड़े को बेकाबू कर दिया तो नुकसान की भरपाई के लिए आपको सब कुछ बेचना पड़ जाएगा।”
“देखो! बेकार की डींग मत मारो” मक्खीचूस ज़मींदार ने कहा, “इस छोटे-से मरियल घोड़े की कीमत ही क्या है?”
बड़बोले ने जवाब दिया, “ओह! कुछ भी नहीं, परन्तु जब वह अपना पेट हिलाता है सोना और चाँदी उगलने लगता है।”
…इसी पुस्तक से…
यह कहानी है चीन के अन्दरुनी इलाके में स्थित एक गाँव की। उस गाँव में दो भाई रहते थे। एक का नाम था सैम और दूसरे का क्या नाम था जानते हो! अपना दिल थामकर सुनना, उस दूसरे भाई का नाम था–तिकी तिकी तेम्बो नो सरिम्बो हरि करि बुश्की पेरी पेम दो हाइ काइ पोम पोम निकी नो मीनो दोम बराको।
एक दिन की बात है वे दोनों भाई अपने बगीचे में बने कुएँ के निकट खेल रहे थे। एकाएक सैम कुएँ में गिर गया। उसे कुएँ में गिरकर छटपटाता देख दूसरा भाई तिकी तिकी तेम्बो नो सरिम्बो हरि करि बुश्की पेरी पेम दो हाइ काइ पोम पोम निकी नो मीनो दोम बराको चीखते हुए अपनी माँ के पास दौड़ा, “जल्दी करो माँ! सैम कुएँ में गिर गया है अब हम क्या करें?”
“क्या?” माँ चीख पड़ी, “सैम कुएँ में गिर गया? दौड़ो जाकर पिता को बताओ।” दोनों मिलकर पिता के पास गए और कहा, “जल्दी करो! सैम कुएँ में गिर गया है। अब हम क्या करें।”
“सैम कुएँ में गिर गया?” पिता जी चिल्लाए, “जल्दी दौड़ो, माली को जाकर बताते हैं।” वे सभी माली के पास गए और एक स्वर में चिल्लाने लगे, “जल्दी करो, सैम कुएँ में गिर गया है अब हम क्या करें।” “सैम कुएँ में गिर गया?” माली चीख पड़ा और फौरन उसने सीढ़ी ली, दौड़कर कुएँ में वह सीढ़ी डाली और डूबने से पहले सैम को बचा लिया। देर तक भीगने और ठंड से ठिठुरकर वह बेहद घबराया हुआ था। फिर भी ख़ुशी की बात यह थी कि सैम ज़िन्दा बच गया।
कुछ दिनों बाद दोनों भाई फिर से कुएँ के निकट खेल रहे थे। इस बार तिकी तिकी तेम्बो नो सरिम्बो हरि करि बुश्की पेरी पेम दो हाइ काइ पोम पोम निकी नो मीनो दोम बराको कुएँ में गिर गया। सैम अपनी माँ के पास चीखता हुआ गया और उसने कहा, “जल्दी करो! तिकी तिकी तेम्बो नो सरिम्बो हरि करि बुश्की पेरी पेम दो हाइ काइ पोम पोम निकी नो मीनो दोम बराको कुएँ में गिर गया है। अब हम क्या करें?”
…इसी पुस्तक से…
Additional information
Weight | 200 g |
---|---|
Dimensions | 9 × 6 × 0.2 in |
Binding Type |
काठ का घोड़ा (चीन की लोककथाएँ)”
You must be logged in to post a review.
Related products
-
Sale!
Christianity’s Contribution in the Shaping of Modern India
₹600.00 – ₹900.00 -
Sale!
Shaam kI subah
शाम की सुबहRated 1.00 out of 5₹175.00 – ₹300.00 -
Sale!
Varjit Sambandh Nobel Sahitya mein
वर्जित सम्बन्ध : नोबेल साहित्य मेंRated 2.51 out of 5₹240.00 – ₹420.00 -
Sale!
Maveshi Bara — Ek Pari Katha (George Orwell’s Novel Translated from English)
मवेशीबाड़ा — एक परी कथा (अनुदित उपन्यास)Rated 2.00 out of 5₹185.00 – ₹275.00
Reviews
There are no reviews yet.