Author(s) — C Bhaskar Rao
लेखक – सी भास्कर राव
Hindi Swarajya : Ek Natya Rupantar
हिन्द स्वराज्य : एक नाट्य रूपान्तर
₹144.00 – ₹240.00
Description
डॉ. सी. भास्कर राव
डॉ. सी. भास्कर राव। जन्म : 22 सितम्बर, 1941। मातृभाषा : तेलुगु lअध्ययन-अध्यापन\लेखन-प्रकाशन की भाषा-मौलिक रूप से हिन्दी । शिक्षा : स्नातकोत्तर–हिन्दी (स्वर्णपदक प्राप्त) एवं पीएच.डी. (हिन्दी)। अध्यापन : राँची विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों में । अवकाश : हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में, को-ऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर से (2001 में)। रुचि : साहित्य\मीडिया\संगीत\नाटक। पुस्तक प्रकाशन–साहित्य : (क) उपन्यास (4); (ख) कथा संग्रह (10); (ग) व्यंग्य संग्रह (11); (घ) विविध विधा संग्रह (3); (च) आचार्य विनोबा-विचार संग्रह(2); (छ) रेडियो नाटक संग्रह (3); (ज) विविध माध्यम नाटक संग्रह : 1. हैलो तथा अन्य नाटक; (झ) सिनेमा (6); (त) उल्लेख्य : 1. जमशेदपुर से प्रकाशित दैनिक “उदितवाणी” में अनेक वर्षों तक साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम लेखन 2. आकाशवाणी के लिए नाटक, वार्ताएँ, कहानियाँ, रूपक आदि का पिछले कई वर्षों से लेखन 3. टी.वी. के लिए कुछ पटकथाएँ 4. पिछले पचास वर्षों में लगभग 200 कहानियाँ, 300 व्यंग्य रचनाएँ, 100 पुस्तकें, नाटक एवं फ़िल्म समीक्षाएँ, साहित्यिक लेख, संस्मरण आदि हिन्दी की विभन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित; (थ) अन्य उल्लेख्य : 1. आकाशवाणी, जमशेदपुर की सलाहकार समिति का भूतपूर्व सदस्य 2. प्रसार भारती के राष्ट्रीय पुरस्कार समिति का भूतपूर्व सदस्य 3. सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय, भारत सरकार की हिन्दी सलाहकार समिति का भूतपूर्व सदस्य 4. बिहार संगीत नाटक अकादमी का भूतपूर्व सदस्य 5. सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में झारखंड राज्य के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में भागीदारी; (द) सम्मान एवं पुरस्कार : 1. तुलसी सम्मान (हिन्दी साहित्य सम्मेलन, जमशेदपुर) 2. नाट्य श्री सम्मान (इलाहाबाद नाट्यसंघ) 3. राधाकृष्ण पुरस्कार (‘राँची एक्सप्रेस’) 4. अहिन्दी भाषी हिन्दी लेखन पुरस्कार (उत्तर प्रदेश) 5. अहिन्दी भाषी हिन्दी लेखक पुरस्कार (कथा संग्रह ‘दावानल’ पर, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, भारत सरकार द्वारा) 6. फ़ादर कामिल बुल्के सम्मान (राँची) 7. साहित्य शिरोमणि सम्मान (राउरकेला) 8. राष्ट्रभाषा सम्मान (झारखंड सरकार) 9. विश्व हिन्दी सम्मान (भारत सरकार) तथा अन्य। सम्प्रति : स्वतन्त्र लेखन। सम्पर्क : 59-बी, रोड, एयरबेस कॉलोनी, कदमा, जमशेदपुर-831005 (झारखंड)। फ़ोन : 0657-2306720; मो. 094313-73921, 091624-28751। मेल : dr.bhaskar1.rao@gmail.com
पुस्तक के बारे में
“जिन सिद्धान्तों के समर्थन के लिए हिन्द स्वराज्य लिखी गई थी, उन सिद्धान्तों की आप जाहिरात करना चाहती हैं, यह मुझे अच्छा लगता है। मूल पुस्तक गुजराती में लिखी गई थी, अँग्रेजी आवृत्ति गुजराती का तर्जुमा है। यह पुस्तक अगर आज मुझे फिर से लिखनी हो तो कहीं-कहीं मैं उसकी भाषा बदलूँगा। लेकिन इसे लिखने के बाद जो तीस साल मैंने अनेक आँधियों में बिताए हैं, उनमें मुझे इस पुस्तक में बताए हुए विचारों में फ़ेरबदल करने का कुछ भी कारण नहीं मिला। पाठक इतना ख्याल रखें कि कुछ कार्यकर्ताओं के साथ, एक कट्टर अराजकतावादी थे, मेरी जो बातें हुई थीं, वे वैसी-की-वैसी मैंने इस पुस्तक में दे दी हैं। पाठक इतना भी जान लें कि दक्षिण अफ़्रीका के हिन्दुस्तानियों में जो सड़न दाखिल होने वाली थी, उसे इस पुस्तक ने रोका था। इसके विरुद्ध दूसरे पल्ले में रखने के लिए पाठक मेरे एक स्वर्गीय मित्र की राय भी जान लें कि “यह एक मूर्ख आदमी की रचना है।”
–महात्मा गाँधी
‘आज इस पुस्तक को लिखे 100 वर्ष से अधिक हो गए हैं। शताब्दी वर्ष के निमित्त देश और दुनिया में “हिन्द स्वराज्य” में लिखे गए विचारों का विस्तार से विश्लेषण हुआ है। अनेक विद्वानों ने, चिन्तकों ने, जमीन पर काम करने वाले लोगों ने, जन प्रतिनिधियों ने अपने-अपने ढंग से इस पुस्तक की प्रासंगिकता पर खूब प्रकाश डाला है। सभी ने एक स्वर में कहा है कि आज पूरी दुनिया और हमारा देश जिस तरह से संकटों से गुजर रहा है उनसे सँभलने का एक ही रास्ता है, वह है हिन्द स्वराज्य। देश और दुनिया के आगे ध्रुवतारा-सा बन गई इस पुस्तक को अपने मूल स्वरूप में प्रकाशित करने का हमारा मकसद केवल इतना ही है कि हमारे लोग आर्थिक, राजनीतिक संकट के इस कठिन दौर में इस पुस्तक से प्रेरणा लेकर अपने-अपने कर्तव्यों को पूरा करने की दिशा में कदम उठाएँ। शताब्दी वर्ष के निमित्त हिन्द स्वराज्य के मूल पाठ को आपके हाथ में देते हुए हमें धन्यता का अनुभव हो रहा है। शताब्दी वर्ष के अवसर पर हिन्द स्वराज्य के मूल पाठ के प्रकाशन के साथ बापू की 151वीं जयन्ती के अवसर पर हिन्द स्वराज्य के मूल पाठ का नाट्य रूपान्तर प्रस्तुत करते हुए एवं उस राष्ट्र निर्माता के प्रति अपनी शत-शत श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हमें भी धन्यता का अनुभव हो रहा है।’
Additional information
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