Eric Hobsbawm – Ek Vaishvik Drishta
एरिक हॉब्सबॉम – एक वैश्विक दृष्टा

340.00

10 in stock

Editor(s) – Dr. Jaiprakash ‘Dhoomketu’ & Dr. Amerendra Kumar Sharma
संपादक — जयप्रकाश ‘धूमकेतु’ अमरेन्द्र कुमार शर्मा

| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 372 Pages | PAPER BACK | 2020 |
| 5.5 x 8.5 Inches | 400 grams | ISBN : 978-93-89341-26-3 |

पुस्तक के बारे में

“राष्ट्रवाद इतिहासकारों को राजनीतिकों को एक्टर्स बनाने का दबाव डालता है। इन्हें उन तर्कों का जवाब देना पड़ता है जो लोग उन्हें जानना चाहते हैं फिर
चाहे वह काफी कम ही क्यों न हो। इस देश में हमने इतिहास की किताबों और हालिया अन्य किताबों से जुड़े विवाद पर बहस को देखा है। राष्ट्रवाद अस्मितापरक संस्कृति का समर्थन करता है और अस्मितापरक राष्ट्रवाद बन जाता है जिसका सम्बन्ध एक विशेष समुदाय से होता है। फिर एक अस्मितापरक इतिहास की जरूरत होती है जिसका अन्त पुराशेषवाद, भुलावे और झूठ में होता है। इसका प्रतिवाद केवल तथ्यों और कल्पना के बारीक विरोधाभास और प्रमाणों की सर्वोच्चता के जरिए ही हो सकता है। ऐसे में इतिहासकार की भूमिका ‘मिथक तोड़ने वाले’ की हो जाती है। ”

— रोमिला थापर के लेख ‘एरिक हॉब्सबॉम को याद करते हुए’ से

“आधुनिकतावाद” के नाम पर उस कालखण्ड के प्रयोगशीलों ने बीसवीं शताब्दी के उच्च सांस्कृतिक उत्पादों में ऐसे अधिकांश को हथिया लिया । आज भी जब कोई प्रयोगशील अथवा अन्य सम्प्रदाय इस परम्परा को नहीं स्वीकार करता तो भी वे अपने को उस चीज (“उत्तर-आधुनिकतावाद”) के पदों में परिभाषित करते हैं जिसे वे अस्वीकार करते हैं। इस बीच दैनन्दिन जीवन की संस्कृति के ऊपर अभी भी इस कालखण्ड के तीन नवोन्मेष छाये हुए हैं : अपने आधुनिक रूप में विज्ञापन उद्योग, अखबारों और पत्रिकाओं का व्यापक स्तर पर संचरण, और (प्रत्यक्ष रूप से अथवा टेलीविजन के द्वारा) चलती-फिरती तस्वीरें अथवा फिल्म। विज्ञान और प्रौद्योगिकी 1875-1914 के समय से बहुत आगे बढ़ चुकी हैं लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में प्लैंक, आइन्स्टीन और नील्स बोर तथा वर्तमान के बीच एक स्पष्ट निरन्तरता देखी जा सकती है। जहाँ तक प्रौद्योगिकी की बात है तो सड़क पर दौड़ने वाली पेट्रोल-चालित गाड़ियाँ और उड़ने वाली मशीनें (हवाई जहाज) जो इतिहास में हमारे कालखण्ड में पहली बार जन्मी हैं आज भी हमारे भूदृश्य और नगरदृश्य पर छायी हुई हैं। उस समय आविष्कृत किए गए टेलिफोन और बेतार संदेश भेजने वाले संचार साधनों को विकसित किया गया है लेकिन उन्हें त्यागा नहीं गया है। पीछे मुड़कर देखने पर यह सम्भव लग सकता है कि बीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशक उस ढाँचे में शायद फिर न बैठेंजो 1914 के पहले तैयार किया गया था लेकिन अनेक उद्देश्यों के लिए वह ढाँचा उपयोगी बना रहेगा ।”

—एरिक हॉब्सबॉम के लेख ‘साम्राज्य का युग पूर्वाभास’ से

अनुक्रम

संपादकीय– एरिक हॉब्सबॉम : एक स्वप्न द्रष्टा इतिहासकार

स्मरण

1. एरिक हॉब्सबॉम को याद करते हुए – रोमिला थापर (अनुवाद : शंभू जोशी)

2. एरिक हॉब्सबॉम को याद करते हुए – नलिनी तनेजा (अनुवाद : अभिषेक श्रीवास्तव)

3. हॉब्सबॉम को पढ़ते हुए – खगेन्द्र ठाकुर

4. एरिक हॉब्सबॉम के बहाने – रघुवंश मणि

5. एरिक हॉब्सबॉम : मार्क्सवादी परम्परा में वैश्विक पहुँच वाला इतिहासकार –डोरोथी बेडरबरन (अनुवाद : अमित राय)

अनुचिंतन

6. मई 1968 : एरिक हॉब्सबॉम (अनुवाद : रामकीर्ति शुक्ल)

7. मई दिवस : इतिहास यात्रा : एरिक हॉब्सबॉम  (अनुवाद : रामकीर्ति शुक्ल)

8. साम्राज्य का युग पूर्वाभास : एरिक हॉब्सबॉम  (अनुवाद : रामकीर्ति शुक्ल)

9. मार्क्स और आज का समय : एरिक हॉब्सबॉम  (अनुवाद : रामकीर्ति शुक्ल)

10. मंदी में मार्क्सवाद-1983-2000 (अनुवाद : विजया कांडपाल)

11. पहचान की राजनीति और वामपंथ : एरिक हॉब्सबॉम (अनुवाद : अभिषेक श्रीवास्तव)

परिचर्चा/साक्षात्कार

12. एरिक हॉब्सबॉम के साथ भारतीय – इतिहासकारों की परिचर्चा (अनुवाद : अमित राय)

13. एरिक हॉब्सबॉम के साथ डॉ. पैट ठाणे और लीज़ लनबेक की बातचीत (अनुवाद : धीरज कुमार मिश्रा)

चिंतन आलेख

14. एरिक हॉब्सबॉम : दिलचस्प समय का इतिहासकार – प्रकाश करात (अनुवाद : अनिल कुमार सिंह)

15. द्वन्द्वों की अन्तहीन यात्रा और एरिक हॉब्सबॉम –रामशरण जोशी

16. एरिक हॉब्सबॉम : एक जनपक्षधर इतिहासकार–लाल बहादुर वर्मा

17. एरिक हॉब्सबॉम की इतिहास दृष्टि –रामनिहाल गुंजन

18. हॉब्सबॉम : एक महान वामपंथी इतिहासकार और उनकी इतिहास-दृष्टि : कुछ सन्दर्भ–हितेन्द्र पटेल

19. एरिक हॉब्सबॉम की इतिहास दृष्टि और मार्क्सवाद–रामप्रकाश कुशवाहा

20. एरिक हॉब्सबॉम : एक सामाजिक और आर्थिक इतिहास का द्रष्टा–अभिनव

21. आत्म, इतिहास और जनवाद : एरिक हॉब्सबॉम – सत्यम कुमार सिंह

22. एरिक हॉब्सबॉम : प्रतिरोध का इतिहास-दर्शन– संजीव झा

23. प्राक् व उत्तर-राजनीतिक प्रतिभास – उज्ज्वल भट्टाचार्य

24. एरिक हॉब्सबॉम : इतिहास, क्रान्तियाँ और 20वीं सदी – वैभव सिंह

25. शीतयुद्धोत्तर काल में युद्ध, शान्ति और लोकतन्त्र –अशोक कुमार पाण्डेय

26. एरिक हॉब्सबॉम और क्रान्ति का युग –परिमल प्रियदर्शी

27. एरिक हॉब्सबॉम : एक भारतीय पुनर्पाठ – दीपक मलिक

28. एरिक हॉब्सबॉम और ग्राम्शी – दीपक मलिक

29. वाल्टर बेंजामिन और एरिक हॉब्सबॉम का कला इतिहास-वृत्तान्त : कुछ नोट्स – अमरेन्द्र कुमार शर्मा

30. बर्बरता या समाजवाद : सन्दर्भ एरिक हॉब्सबॉम – रामू सिद्धार्थ

31. घोड़ा बादाम छाई, पीछे देखे मार खाई – वंदना राग

एरिक हॉब्सबॉम की कृतियों की सूची व अन्य उपलब्धियाँ

सम्पर्क सूत्र

लेखकों के सम्पर्क सूत्र

  • शंभू जोशी, डी-2 शमशेर संकुल, म.गां.अं.हिं.वि., वर्धा (महाराष्ट्र)-442005, मो.-09970865987
  • अभिषेक श्रीवास्तव, 223-बी, द्वितीय तल, मिनी एम.आई.जी. फ्लैट, अभय खंड-3, (मदर डेयरी के सामने) इंदिरापुरम्, गाजियाबाद, (उ.प्र.)-201010, मो.-08800114126
  • खगेन्द्र ठाकुर, जनशक्ति कालोनी, पथ-24, राजीव नगर, पटना-24 (बिहार), मो.-09431102736
  • रघुवंशमणि, 365, इस्माईलगंज, अमानीगंज, फैजाबाद (उ.प्र.), मो. 09452850745
  • रामकीर्ति शुक्ल, 27, कौशललेस नगर, नरिया, वाराणसी (उ.प्र.), मो.-09451585423
  • विजय कांडपाल, देवदर्शन बिल्डिंग, आदेश्वर पार्क, ए-विंग, 202, द्वितीय तल, (फोर्टिस होस्पिटल के पास), बैल बाजार के नजदीक, कल्याण (प.) ठाणे (महाराष्ट्र), मो.-08652104937
  • अमित राय, डी-11, शमशेर संकुल, म.गां.अं.हिं.वि, वर्धा (महाराष्ट्र), मो.-09422905755
  • धीरज कुमार मिश्र, मो.-08055983924
  • प्रकाश करात, राष्ट्रीय महासचिव (सी.पी.एम.), 27-29, भाई वीर सिंह मार्ग, गोल मार्केट, नई दिल्ली-110001 फोन नं.- 011-23747436, 23747435
  • अनिल कुमार सिंह, एच-1, अवधपुरी कॉलोनी, फेज-2, अमानीगंज, फैजाबाद (उ.प्र.) मो.-09415917628
  • रामशरण जोशी, 105 समाचार अपार्टमेंट, मयूर विहार, फेज-1, दिल्ली-110096, मो.-09810525019
  • लालबहादुर वर्मा, बी-229 मेहदौरी कॉलोनी, तेलिअरगंज, इलाहाबाद, (उ.प्र.) मो. 09454069645
  • रामनिहाल गुंजन, नया शीतल टोला, आरा (बिहार), मो.-07250201038
  • हितेंद्र पटेल, 493-बी, पर्णश्री, कोलकाता (प. बंगाल), मो.-09230511567
  • रामप्रकाश कुशवाहा, एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, राजकीय महिला पी.जी. कॉलेज, गाजीपुर (उ.प्र.), मो-09451342730
  • अभिनव, बी-100, मुकुन्द विहार, करावलनगर, दिल्ली-09211662298
  • सत्यम कुमार सिंह, मो.-9823297052
  • संजीव झा, मो.-08605439463
  • उज्ज्वल भट्टाचार्य, डी-34/15, गनेशमहल, वाराणसी (उ.प्र.)-221001, मो.-09717274668
  • वैभव सिंह, फ्लैट नं.-14-ए, जीएच-76, सेक्टर-20, पंचकूला (हरियाणा)-134116, मो.-09711312374
  • अशोक कुमार पाण्डेय, 508, भावना रेसीडेंसी, सत्यदेवनगर, गाँधी रोड, ग्वालियर (म.प्र.)-474002, मो.-09425787930
  • परिमल प्रियदर्शी, शोध अधिकारी, म.गां.अं.हि.वि., वर्धा (महाराष्ट्र)-442005, मो.-08275749349
  • दीपक मलिक, 39-रवींद्रपुरी, लेन-5, वाराणसी (उ.प्र.)-201005, मो. 09839096104
  • अमरेन्द्र कुमार शर्मा, डी-12, शमशेर संकुल, म.गां.अं.हि.वि., वर्धा (महाराष्ट्र)- 442005, मो.-09422905755
  • रामू सिद्धार्थ, नमन निवास, फूलवासी सिंह, 32 सूरजकुंड, गोरखपुर (उ.प्र.) मो.-09794921444
  • वंदना राग, बी-3, सिविल लाइन, प्रोफेसर कॉलोनी, भोपाल (म.प्र.), मो.- 07554259919

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Description

जयप्रकाश ‘धूमकेतु’

कवि, आलोचक, संस्कृतिकर्मी आलोचना की किताब और कविता संग्रह प्रकाशित। अपने महत्वपूर्ण विशेषांकों के लिए विशेष चर्चित हिंदी की पत्रिका ‘अभिनव क़दम’ का 1996 से संपादन। हिंदी की दर्जनों पत्रिकाओं में लेख, कविता, समीक्षा, रिपोर्ट प्रकाशित। लगातार तीस वर्षों से जनवादी कार्यक्रमों का आयोजन। रंगमंच से सक्रिय जुड़ाव। पूर्वांचल भारत में सक्रिय संस्कृतिकर्मी के रूप मे ख्यात। संप्रति : सांस्कृतिक चेतना विस्तार के लिए प्रतिबद्ध राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ के सर्वेसर्वा।

अमरेन्द्र कुमार शर्मा

कवि, आलोचक। आलोचना की दो किताबें 1. आपातकाल : हिंदी साहित्य और पत्रकारिता; 2. आलोचना का स्वराज प्रकाशित। आधुनिक हिंदी कविता में युद्ध का समाजशास्त्र विषय पर पुस्तक प्रकाशनाधीन। आलोचना, नया ज्ञानोदय, वागर्थ, वसुधा, समयांतर, बहुवचन, वर्तमान साहित्य, पक्षधर, अनहद, साखी, प्रस्थान, परिचय, समकालीन सोच, पुस्तक वार्ता, पूर्वग्रह आदि पत्रिकाओं में तीन दर्जन से अधिक लेख सहित साक्षात्कार और कविताएँ प्रकाशित। ‘तुलनात्मक साहित्य विश्वकोश’ और ‘वर्धा शब्दकोश’ परियोजना में योगदान। साहित्य के साथ कला माध्यमों और सामाजिक विज्ञान के रिश्ते पर लगातार चिंतन और लेखन आजकल ‘ज्ञान’ के विकास में ‘नदी,यात्रा और स्वप्न’ के रिश्ते की पड़ताल के साथ-साथ भारत और विश्व के क्लासिक उपन्यास और उसपर बनी फिल्मों पर तुलनात्मक रूप से एक विस्तृत कार्य-योजना पर लेखन। संप्रति : महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में अध्यापन और 2012 से ‘अभिनव कदम’ पत्रिका का सह-संपादन।

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