Cinema ke Vividh Sandarbh
सिनेमा के विविध सन्दर्भ
₹200.00 – ₹350.00
Author(s) — Surabhi Biplove
Description
…पुस्तक के बारे में…
फ़िल्म स्वप्न की तरह है, संगीत की तरह है। यह कलारूप जिस तरह हमारी चेतना को प्रभावित करता है, कोई अन्य कलारूप नहीं कर सकता। यह भावनाओं के हमारे घर में, आत्मा के अंधेरे कमरों में सीधे और गहरे प्रवेश करता है।
– इंगमार बर्गमैन
फ़िल्म छवि है, फ़िल्म शब्द है, फ़िल्म गति है, फ़िल्म नाटक है, फ़िल्म कहानी है, फ़िल्म संगीत है – फ़िल्म में मुश्किल से एक मिनट का टुकड़ा भी इन सब बातों को एक साथ दिखा सकता है।
– सत्यजित रे
कोई भी सिनेमा में कैमेरे के विशिष्ट महत्व से इंकार नहीं कर सकता। किन्तु कोई भी कैमरे को ही महत्व नहीं दे सकता, वस्तुतः उस दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर ही मूल्यांकन किया जा सकता है, जिससे भावना और बुद्धि अपने अन्तरिम परिणाम से प्रभावित होते हैं, क्योंकि अंततः सिनेमा लोगों के लिए बनाया जाता है।
– ऋत्विक घटक
एक निर्देशक की भूमिका में अभिनेताओं का प्रशिक्षण, सिनेमैटोग्राफी, साउंड रिकार्डिंग, कला–निर्देशन, संगीत, संपादन, डबिंग और साउंड–मिक्सिंग शामिल होती है। यद्यपि इन्हें अलग–अलग व्यवसायों के रूप में माना जा सकता है, मैं इन्हें स्वतंत्र नहीं मानता। मैं उन सभी को निर्देशन के नीचे एक साथ घुलते –मिलते हुए देखता हूँ।
– अकीरा कुरोसावा
सुवर्ण रेखा फ़िल्म अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाती है। दर्शक एक बार इस फिल्म को तन्मयता से देख ले तो वह बेचैन हो जाए और हमेशा के लिए उसकी स्मृतियों में यह फिल्म रच बस जाए जैसा मेरे साथ भी हुआ इस फिल्म को देखने के बाद मैं सो नहीं पाई। बार-बार मन घटक जी से प्रश्न करता रहा कि अंत ऐसा क्यों ? काश इसे बदला जा सके! लेकिन नहीं यही इसकी विशिष्टता है कि दर्शक के हृदय को झकझोर दे, उसे बेचैन करे। आप इसके अवलोकन के बाद सहज रह नहीं पाएंगे । यही कारण है कि ऋत्विक घटक की फिल्मों में यह फिल्म सचमुच सोने की लकीर है।
… इसी पुस्तक से …
…लेखक के बारे में…
डॉ. सुरभि विप्लव
जन्म 1 फरवरी 1988 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांव हरिबल्लमपुर (मोहमदाबाद), जनपद गाजीपुर में हुआ। आरंभिक शिक्षा कोयलांचल रानीगंज (पश्चिम बंगाल) में। नाट्यकला एवं नृत्य में स्नातक विश्वभारती शांतिनिकेतन से। नाट्यकला एवं फिल्म अध्ययन में स्नातकोत्तर (स्वर्ण पदक), एम.फिल. एवं पीएच.डी. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)। कई लघु फिल्मों एवं वृतचित्र का निर्माण जिनमें ‘सर्वोदय के लिए मातृशक्ति’ का प्रसारण एपिक चैनल पर किया गया है तथा सेवाग्राम और गांधी, किसान पर्व पोला, द चेक एवं विदर्भ की कीर्तन परंपरा आदि हैं। प्रमुख पत्र–पत्रिकाओं में सिनेमा एवं नाट्यकला विषय पर गंभीर लेखन। प्रकाशित एवं प्रकाशनाधीन पुस्तकें – भिखारी ठाकुर का बिदेसिया, हिंदी सिनेमा की अभिनय शैली। संपर्क – c/o राजदीप राठौर, द्वारका नगर, सिंदी मेघे, व्याफोर्ड रोड, वर्धा – 442001, महाराष्ट्र।
मोबाईल – 9404823570, 9518366320
ई-मेल – surabhibiplove@gmail.com
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