विभूति नारायण राय

जन्म : 28 नवम्बर, 1950। मूलत: उपन्यासकार हैं। अब तक उनके पाँच उपन्यास– घर, शहर में क‍़र्फ्यू, क़िस्सा लोकतंत्र, तबादला और प्रेम की भूतकथा प्रकाशित। घर बांग्ला, उर्दू और पंजाबी, शहर में क‍़र्फ्यू उर्दू, अंग्रेज़ी, पंजाबी, बांग्ला, मराठी, कन्नड़, मलयालम, असमिया, उड़िया, तेलुगु और तमिल में, क़िस्सा लोकतंत्र पंजाबी और मराठी, तबादला उर्दू और अंग्रेज़ी तथा प्रेम की भूतकथा उर्दू, मराठी, पंजाबी, कन्नड़ और अंग्रेज़ी में अनूदित और प्रकाशित।
क़िस्सा लोकतंत्र उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा सम्मानित। तबादला कथा यू.के. द्वारा ‘इन्दु शर्मा कथा सम्मान’ से सम्मानित।
लेखक के अलावा एक एक्टिविस्ट के रूप में भारतीय राज्य और अल्पसंख्यकों के रिश्तों को समझने का प्रयास और फलस्वरूप साम्प्रदायिक हिंसा के मनोविज्ञान पर लगातार लेखन। भारतीय समाज में व्याप्त साम्प्रदायिकता को समझने के क्रम में साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस तथा हाशिमपुरा 22 मई नामक दो महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन। इन दोनों पुस्तकों का अंग्रेज़ी, उर्दू, कन्नड़, मराठी, तेलुगु तथा तमिल में अनुवाद।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए व्यंग्य-लेखन जो संग्रह के रूप में एक छात्र नेता का रोज़नामचा के नाम से प्रकाशित।
लेखों के चार संग्रह रणभूमि में भाषा, फ़ेंस के उस पार, किसे चाहिए सभ्य पुलिस, अंधी सुरंग में कश्मीर प्रकाशित। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कालम लेखन।
लगभग दो दशकों तक हिंदी की महत्त्वपूर्ण मासिक पत्रिका वर्तमान साहित्य का सम्पादन। बीसवीं शताब्दी के हिंदी कथा साहित्य का लेखा जोखा– कथा साहित्य के सौ वर्ष का संपादन।
आजीविका के लिए पुलिस में नौकरी की। पाँच वर्षों तक महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति रहे।
संपर्क : 403, कैलिप्सो कोर्ट 16, जेपी विश टाउन, सेक्टर 128, नोएडा– 201304
e-mail : vibhutinarainrai@gmail.com मो : 9643890121

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