Vasawi Kiro / वासवी किड़ो

डॉ. वासवी किड़ो का जन्म रांची में हुआ। इन्होंने बतौर पत्रकार झाड़खंड अलग राज्य आंदोलन की रिर्पोट जनसत्ता में किया। न्यू मेसेज पाक्षिक पत्रिका से शुरूआत कर राष्ट्रीय दैनिक नवभारत टाइम्स, जनसत्ता और झाड़खंड रांची के प्रभात खबर में लगभग 17 साल काम किया। चमेली देवी जैन पुरस्कार, सरोजनी नायडू पुरस्कार और शंकर गुहा नियोगी पुरस्कार पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया। इसके अलावा स्त्री शक्ति सम्मान, प्रेरणा स्त्रोत सम्मान और 2008-2009 में झाड़खंड रत्न से सम्मानित किया गया। इन्होंने अनेक देशों का दौरा कर आदिवासी सवालों और आदिवासी महिलाओं के मुद्दे को उठाया। इनका चयन ग्लोबल लीडरशिप स्कूल के लिए इंटरनेशनल इंडिजिनिस वुमेन फोरम फीमी पेरू द्वारा 2015 में किया गया। जेनेवा के संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार कार्यालय में 2014 और 2019 में इन्होंने महिला हिंसा और आदिवासी जनों के घोषणापत्र के उल्लंघन पर एक्सपर्ट मेकानिज्म ऑन द राइटस ऑफ इंडिजिनिस एमरिप में पेपर प्रस्तुत किया है। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल एसेम्बली में 2019 में भागीदारी कर एसेम्बली की अध्यक्ष इक्वाडोर की विदेश मंत्री मारिया फर्नान्डा से मुलाकात कर आदिवासी भारत की समस्याओं का ज्ञापन सौंपा। इन्होंने 2011 में आई.भी.एल.पी. कार्यक्रम के तहत अमेरिकी सरकार के आमंत्रण पर वाशिंगटन डीसी, फलोरिडा, सिएटल और इंडियानापोलिस का दौरा किया। अमेरिका के नेटिभ इंडियन यानी आदिवासी इलाके का दौरा किया। सिएटल में आदिवासी जनों के टोटेम खूंटे का अवलोकन किया। इन्होंने के.के. बिड़ला फेलोशिप, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट फेलोशिप, सी. फोर इंडोनेसिया के वनों पर शोध प्रोजेक्ट और शिकागो के मैक आर्थर फाउंडेशन की फेलोशिप लेकर उल्लेखनीय कार्य किए है।
वे सोसायटी ऑफ एथनोबोटानिस्ट की आजीवन सदस्य हैं। अनेक विश्वविद्यालयों में इन्होंने व्याख्यान दिए हैं। इन्होंने अनेक किताबें लिखी है। ताबेन जोम, भारत में विस्थापन की अवधारणा और इतिहास, महुआ, होड़ोपैथी, मुडा दुरंड़ का संग्रह और उलगुलान की औरतें जिसका वृहत् स्वरूप भारत की क्रांतिकारी आदिवासी नारियाँ हैं। अखिल भारतीय आदिवासी साहित्यिक मंच की राष्ट्रीय संगठन सचिव हैं। वे 2010 से लेकर 2013 तक झाड़खंड राज्य महिला आयोग की सदस्य रह चुकी हैं।
फोन. : 9431103047; ई-मेल : kirovasavimjscw@gmail.com

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