उर्मिला शुक्ल

जन्म– 20-9-1962 l शिक्षा– एम ए, पी एच डी, डी लिट् (छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला डी. लिट्) l लेखन– छत्तीसगढ़ी और हिन्दी दोनों ही भाषाओं में लेखन l प्रकाशन हिन्दी– उपन्यास– बिन ड्योढ़ी का घर l कहानी संग्रह– 1. फूल कुँवर तुम जागती रहना 2. मैं, फूलमती और हिजड़े l कविता संग्रह– 1. इक्‍कीसवीं सदी के द्वार पर 2. गढ़ रही है औरत l यात्रा संस्मरण– यात्रायें उस धरा की– जो धरोहर हैं हमारी; हिम श्रृंगों के संग संग l हंस– सिर्फ कहानियाँ सिर्फ महिलायें, अगस्त 2013 कहानी बँसवा फुलाइल मोरे अँगना प्रकाशित और चर्चित l समीक्षा– 1. छत्तीसगढ़ी लोकगीतों में नारी-चेतना से विमर्श तक 2. हिन्दी कहानी में छत्तीसगढ़ी संस्कृति 3. स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी कहानी – बदलते मुल्बोध, छत्तीसगढ़ी में कहानी संग्रह, कविता संग्रह, खंडकाव्य और समीक्षा प्रकाशित l रचनायें– पंजाबी, गुजराती, मराठी कन्नड़, मलयालम और उर्दू में अनुदित l पुरस्कार एवं सम्मान– पाण्डुलिपि पुरस्कार (1995), मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग, भोपाल; रहस्य रोमांच कहानी प्रतियोगिता में ‘कहानी स्वप्‍न और हकीकत के बीच’ पुरस्कृत (2016); कहानी संग्रह ‘मैं, फूलमती और हिजड़े’ के लिये अखिल भारतीय स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान (2017); अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता– पुष्करणी कथा पुरस्कार, उत्तर प्रदेश (2015)।

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