रंजना जायसवाल

जन्म– 03 अगस्त, जिला पड़रौना, पूर्वी उत्तर-प्रदेश l आरम्भिक शिक्षा–पड़रौना में lउच्च-शिक्षा–गोरखपुर विश्वविद्यालय से ‘प्रेमचन्द का साहित्य और नारी-जागरण’ विषय पर पीएच.डी. l प्रकाशन–आलोचना, हंस, वाक्, नया ज्ञानोदय, समकालीन भारतीय साहित्य, वसुधा, वागर्थ, संवेद सहित राष्ट्रीय-स्तर की सभी पत्रिकाओं तथा जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान इत्यादि पत्रों के राष्ट्रीय, साहित्यिक परिशिष्टों पर ससम्मान कविता, कहानी, लेख व समीक्षाएँ प्रकाशित l अन्य गतिविधियाँ–साहित्य के अलावा स्त्री-मुक्ति आन्दोलनों तथा जन-आन्दोलनों में सक्रिय भागीदारी। 2000 से साहित्यिक संस्था ‘सृजन’ के माध्यम से निरन्तर साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन। साथ में अध्यापन भी। l प्रकाशित कृतियाँ–कविता-संग्रह–मछलियाँ देखती हैं सपने, (2002); दु:ख-पतंग (2007); जिन्दगी के कागज पर (2009); l माया नहीं मनुष्य (2009); जब मैं स्त्री हूँ (2009); सिर्फ कागज पर नहीं (2012); क्रान्ति है प्रेम (2015); स्त्री है प्रकृति (2018) l कहानी-संग्रह–तुम्हें कुछ कहना है भर्तृहरि (2010); औरत के लिए (2013) l लेख-संग्रह–स्त्री और सेंसेक्स (2011); तुम करो तो पुण्य हम करें तो पाप (2018) l उपन्यास -…और मेघ बरसते रहे… (2013); त्रिखंडिता (2017) l सम्मान–अ.भा. अम्बिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार (मध्य-प्रदेश) पुस्तक–मछलियाँ देखती हैं सपने। भारतीय दलित–साहित्य अकादमी पुरस्कार (गोंडा)। स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान (राँची) पुस्तक-मछलियाँ देखती हैं सपने। विजय देव नारायण साही कविता सम्मान (लखनऊ, हिन्दी संस्थान) पुस्तक–सिर्फ कागज पर नहीं। भिखारी ठाकुर सम्मान (सीवान)। l सम्पर्क–सृजन-ई.डब्ल्यू.एस-210, राप्ती-नगर-चतुर्थ-चरण, चरगाँवा, गोरखपुर, पिन-273013। मो.-09451814967। ई-मेल-dr.ranjana.jaiswal@ gmail.com

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