मदनलाल मधु (1925-2014)
मधु जी 1957 में अनुवादक के रूप में मास्को पहुँचे थे। चूँकि उनकी मातृभाषा पंजाबी थी और इससे पहले उन्होंने कभी अनुवाद नहीं किया था, इसलिए उन्हें शुरू में अनुवाद करने में दिक़्क़त महसूस हुई। तब उन्होंने सम्पादन की ज़िम्मेदारी सम्भाल ली। फिर 1961 में अँग्रेज़ी से पहली बार अलिक्सेय तलस्तोय द्वारा बच्चों के लिए लिखी लम्बी कहानी ‘निकीता का बचपन’ का अनुवाद किया। बाद में लम्बे समय तक वे बच्चों के लिए रचनाओं के अनुवाद करते रहे। दसतायेव्स्की की उपन्यासिका ‘रजत रातें’ का अनुवाद भी उन्होंने अँग्रेज़ी से किया है। वैसे मधु जी को रूस के महान कवि अलिक्सान्दर पूश्किन की कविताओं का रूसी भाषा से सीधे हिन्दी में अनुवाद करने के लिए जाना जाता है।
लगभग चार दशक तक उन्होंने रूस में रहकर लेफ़ तलस्तोय, मकसीम गोरिकी, इवान तुर्गेनिफ़, मिख़अईल शोलअख़फ़, और रसूल हमज़ातव जैसे लेखकों की रचनाओं का अनुवाद किया। रूसी-भारतीय मैत्री के विकास में योग देने के लिए रूस की सरकार ने उन्हें ‘पूश्किन पदक’ और भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ देकर सम्मानित किया।
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